एक पुरानी हालीवुड की फिल्म है रोबोकोप जिसमें एक पुलिस अधिकारी रोबोट के शरीर और मनुष्य का दिमाग रखता है और उसके सारे निर्देश और सूचनाए उसके हेलमेट में दिखाई पड़ती रहती हैं .

अब आप वैसा मशीनी शरीर तो नहीं पर उस जैसा हेल्मेट जरुर पा सकेंगे .


इस तरह की तकनीक अभी तक लड़ाकू विमानों जैसे एफ-35 पर ही उपलब्ध थी जहाँ जानकारियाँ पायलट को अपने हेल्मेट में ही दिखाई पड़ती रहती थी . पर वो हेल्मेट लाखो डॉलर कीमत के होते हैं और हर कोई लड़ाकू विमान तो नहीं उड़ा सकता .
तो अगर आपके मोटर सायकल के लिए ही ऐसा हेल्मेट उपलब्ध हो जाए तो कितना अच्छा रहे
और इसी कल्पना को साकार करने में लगे है रूस के कुछ वैज्ञानिक जो एक कार्बन फाइबर से बने हेल्मेट, एक पारदर्शी विडियो स्क्रीन, एंड्रोइड आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम को मिलाकर आपके लिए एक ऐसा यन्त्र बना रहे हैं . 



इस हेल्मेट से आप रास्तो और ट्रेफिक की जानकारी पा सकेंगे साथ ही रास्तों में पडने वाले स्थानों की भी .  वो भी सिर्फ बोलकर . इसमें आपको अपने हेल्मेट के वायजर पर सूचनाए दिखाई देंगी साथ ही इसमें लगे से स्पीकर से भी निर्देश सुन सकेंगे .

इसमें 3000mAh की 2  बैटरियां लगी होंगी जो दिनभर चलेंगी और USB के द्वारा चार्ज की जा सकेंगी .
 


अब ये दिखेगा कुछ ऐसा




पर अंदर से कुछ इस तरह बना होगा ये




और इस हेल्मेट को पहनने के बाद आपको कुछ इस तरह के नज़ारे मिलेंगे






अब इसका एक विडियो भी देख लीजिए






और अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट है - http://www.livemap.info/


ये अभी प्रोटोटाइप ही है यानि अभी इसको पाने के लिए आपको एक से दो साल का इंतज़ार करना पड़ेगा और इसकी कीमत भी  शुरुवात में 90000 से 120000 तक हो सकती है तो इसके सस्ते होने के लिए इंतज़ार थोडा और लंबा हो सकता हैं .

इस प्रयास में संभावनाए बहुत है दिल्ली या ऐसे ही शहरो जहाँ पीछे बैठने वालो के लिए भी हेल्मेट अनिवार्य है वाहन पीछे बैठकर आप इन्टरनेट सर्फिग, फेसबुक  या अपनी पसंद के विडियो या गानों का मज़ा ले सकते हैं .

भारत जैसे विकासशील देश इसकी तकनीक से अपने यहाँ लड़ाकू विमानों के आधुनिक हेल्मेट कम खर्च में बना सकते हैं .
एक कैमरा अगर पीछे की ओर जोड़ दिया जाए तो आप बिना मुड़े पीछे भी नज़र रख सकते हैं (जैसा की आजकल कारों में पार्किंग कैमरा होता है ) .

और सबसे अच्छी बात तो ये होगी की इसके चलते लोग अपनी मर्ज़ी से हेल्मेट पहनना शुरू कर दें और कई जानें बच जाएँ .


ये है तो गूगल ग्लास का ही दूर का रिश्तेदार पर एक अलग तरह के उपयोग के लिए वैसे बहुत मुमकिन है की गूगल ग्लास अगर आपके पास है तो इसकी जरुरत ही न हो .

आखों में गूगल ग्लास, पैरों में बाते करने वाले जूते, हाथों में स्मार्टवाच और मोबाइल फोन तो पहले ही हमारा एक हिस्सा बन चुके है इसलिए साइबोर्ग बनाने में अब ज्यादा देर नहीं है. 




7 comments:

  1. माई बिग गाइड पर सज गयी 100 वीं पोस्‍ट, बिना आपके सहयोग के सम्‍भव नहीं थी, मै आपके सहयोग, आपके समर्थन, आपके साइट आगमन, आपके द्वारा की गयी उत्‍साह वर्धक टिप्‍पणीयों, तथा मेरी साधारण पोस्‍टों व टिप्‍पणियों को अपने असाधारण ब्‍लाग पर स्‍थान देने के लिये आपका हार्दिक अभिनन्‍दन करता हॅू और आशा करता हॅू कि आपका सहयोग इसी प्रकार मुझे मिलता रहेगा, एक बार फिर ब्‍लाग पर आपके पुन आगमन की प्रतीक्षा में - माइ बिग गाइड और मैं

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  2. ज्ञानवर्धक जानकारी..........

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  3. Thanks Very good article. http://www.helphindi.in

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